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Lekhny Story -03-Sep-2023

मायके वाले कहते हैं कि बेटी पराया धन है ।

और ससुराल वाले कहते हैं कि वो तो पराए घर से आई है

क्या इस समाज में एक औरत का कोई वजूद नहीं।

#नारी जीवन#

बेटी बन कर तुमने अपने,

पिता का घर महकाया है।

भाई की सूनी कलाई को ,

राखी से तुमने सजाया है ।

बाबा, दादी, चाचा, चाची ,

ताऊ, ताई की प्यारी थी ।

सब कहते हुए न थकते थे ,

तुम उनकी राज दुलारी थी।

तितली बनकर जो उड़ती थी ,

अपने घर के ,हर कोने कोने में ।

ससुराल पहुंच कर वो बेटी ,

फिर सिमट गई एक कोने में।

बेटी से फिर वो बहू बनी ,

बहना छूटी तो नन्द मिली।

भाई छूटे तो जेठ मिले,

फिर नई कहानी शुरु हुई ।

भाभी, चाची , मामी, काकी ,

रिश्ते तो यहां पर अनेक मिले ।

न जाने कितने नाम मिले ,

पर अपना न कोई वजूद मिला ।

रिश्ते तो उसे अनेक मिले,

पर हर रिश्ता बस नाम का था।

जिसको वो अपना कह सके,

ऐसा न कोई पास में था ।

जब पहली बार वो मां बनी ,

मानो खुशियों का उसे संसार मिला।

बच्चे के आने की आहट से ,

तन और मन उसका निखर गया ।

फिर जैसे उसको बेटी हूई ,

घर में सबके मुंह लटक गए।

मां की ममता रोती रही,

सब अपनी अपनी कहते रहे।

सोचा न किसी ने उस मां के लिए,

जो मौत से लड़ के आई थी।

जब सबकी जरूरत थी उसकी,

तब अपनो ने ही था मुंह मोड़ लिया।

अपनी फूल सी बच्ची को,

सबके तानों से बचाती रही

संस्कारो के बोझ तले,

सबकी बातों को सुनती रही।

सबके लिए वो खड़ी रहे ,

तो बहुत ही अच्छी लगती है ।

जरा अपने लिए जो खड़ी हुई वो औरत सबसे बुरी है ।

क्या एक औरत की बस यहीं कहानी है ।

होंठों पे हसीं और आंखों में पानी है

रूबी चेतन शुक्ला

अलीगंज

लखनऊ

7007189141

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3 Comments

Reena yadav

10-Sep-2023 09:41 AM

👍👍

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सुन्दर और यथार्थ चित्रण

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Abhinav ji

09-Sep-2023 07:32 AM

Very nice

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